मेरी रातों की नींदों को तुम्ही ने मुझसे छीना हैमें

ये धड़कन करती है बस तुम्हारे नाम की बातें
जो तुम न हो सामने तो किस काम की बातें  एक
अपराध प्रेम है तो ह्रदय तेरा कारागार है मेरा

Baaki Hai..............

                                                            बाकी है... by Abhishek Tripathi


मेरी सांसो मे तेरी कुछ साँस बाकी है...
इन आँखों मे तेरे लौट आने की  आस बाकी है...
कैसे बयान करु  इस दिल की दीवानगी को...
मेरी इस धड़कन मे तेरा एहसास बाकी है....
तुझे इल्म नही इस बात का की  तू मेरा रहबर है...
तू ही मेरी चाहत है तू ही मेरा दिलबर है...
तेरे आँखों का जाम पी सकूँ अब वो प्यास बाकी है...
मेरी इस धड़कन में  तेरा एहसास बाकी है...
ए खुदा तेरा शुक्रिया तूने मुझे ये एहसास दिया...
इनायत तू सबको देता ह पर मुझे सबसे ख़ास दिया...
तेरी इबादत लिख सकूँ अब भी वो अल्फ़ाज़ बाकी है....
मेरी इस धड़कन में  तेरा एहसास बाकी है....
पहले वो रहती थी दिल मे अब उसकी याद रहती है...
मुस्कराए  वो हर घड़ी बस ये फरियाद रहती है...
यादों का वो  खजाना अब भी  मेरे पास बाकी है...
मेरे इस धड़कन मे तेरा एहसास बाकी है....
तेरी हँसी तेरी खुशी तेरी जो मुस्कान है...
वही मेरी ज़िंदगी है  वही मेरी जान है ..
इस प्यारी ज़िंदगी मे अब भी कुछ ख़ास बाकी है...
मेरी इस धड़कन मे तेरा एहसास बाकी है

सपना सुहाना था......... A Trans-creation

A trans-creation in hindi by me for One of My Favorite poems written by My Dear friend Indrajeet Jain on his blog


      Original -Maison to bureau (Read here) by  Indrajeet Jain

        Trans creation -सपना सुहाना था     by Vivekanand Joshi


कल रात एक सपना सुहाना था
अगली सुबह कुछ अलग आना था
सफ़र-ए-मंज़िल की खातिर
छोड़ना  मुझे अपना
ठिकाना पुराना था
अपने मकान को अलविदा
अब मुझे कहना था  
 चलना था जानिब-ए-मंज़िल   मगर क्या बताऊँ
कैसा अजीब था वो अहसास
कदम बढ़ते ही मेरे आसमान ने
नाखुशी से बुलाया मुझे और
मेरी खुदगर्ज़ी ने बहुत रुलाया उसे ना जाने क्यूँ उस दिन
ज़मीन का दामन भिगाना था,
क्या सपना  वो सुहाना था ?
बस इसी का जवाब पाना था


बढ़ते बढ़ते उदासी से निकलते बीच सड़क पे, मेरी आँखो ने किसी बच्चे को भीगते थिरकते देखा
मेरी ना समझी ने उस से सवाल कर डाला जिस पर उसका जवाब की जैसे उसके उम्र के डब्बे मे बस ये एक पल है और उसका मक़सद इसे ख़ास बनाना था
 मुझे लगा मेरा सपना बेईमाना था आगे बढ़ते ही मुझे एक साया भागता नज़र आया गिरती बूँदो से बचने को शायद उसकी
रफ़्तार कम थी
मेरे पूछने पर उसने कहा की उसकी ज़िंदगी पहले से ही नम थी उसकी बूझी आँखो ने मेरी उमीद को तोड़ दिया और मैने अपना आस का पंछी वहीँ पर छोड़ दिया


मेरा सफ़र अंजाम पर था
 मेने अपने तजुर्बे को समेटा
जैसे किस्मत को  मुझे बताना था की   हाँ वो सपना सुहाना था
 हर पल सुहाना है
आने वाला कल सुहाना है
 गुज़रा कल सुहाना था
 ये जो पल है
 इस पल मे कुच्छ करना है ज़िंदगी का हर पल भरना है चाहत  यकीन खुद पे कराना था हाँ वो सपना सुहाना था
 हाँ वो सपना.................
कल रात एक सपना सुहाना था अगली सुबह कुछ अलग जो आना था
सफ़र-ए-मंज़िल की खातिर छोड़ना  मुझे अपना ठिकाना पुराना था
अपने मकान को अलविदा अब मुझे कहना था और चलना था-
 जानिब-ए-मंज़िल के पास मगर क्या बताऊँ  कैसा अजीब था वो अहसास
कदम बढ़ते ही मेरे आसमान ने नाखुशी से बुलाया मुझे और
मेरी ख़ुदगरज़ी  ने बहुत रुलाया उसे ना जाने क्यूँ उस दिन ज़मीन का दामन भिगाना था,
क्या सपना  वो सुहाना था बस इसी का जवाब पाना था
बढ़ते बढ़ते उदासी से निकलते बीच सड़क पे, मेरी आँखो ने किसी बच्चे को भीगते थिरकते देखा
मेरी ना समझी ने उस से सवाल कर डाला जिस पर उसका जवाब की जैसे उसके उम्र  के डब्बे मे बस यही एक पल है
की जैसे उसके उम्र  के डब्बे मे बस यही एक पल है
और उसका मक़सद इसे ख़ास बनाना था
मुझे लगा मेरा सपना बेईमाना था
 आगे  बढ़ते ही मुझे एक साया भागता नज़र आया
गिरती बूँदो से बचने को
शायद उसकी रफ़्तार कम थी
मेरे पूछने पर उसने मुझसे कहा
की उसकी ज़िंदगी पहले से ही नम थी
उसकी बूझी आँखो ने
मेरी उमीद को तोड़ दिया
और मैने अपना आस का पंछी
वहीँ  पर छोड़ दिया मेरा सफ़र अंजाम पर था
मेने अपने तजुर्बे को समेटा
 जैसे किस्मत
को बस मुझे बताना था
की हाँ  वो सपना सुहाना था
हर पल सुहाना है
आने वाला कल सुहाना है
गुज़रा कल सुहाना था
ये जो पल है
इस पल मे कुच्छ करना है
ज़िंदगी का हर पल भरना है चाहत बस यकीन खुद पे कराना था
हाँ वो सपना सुहाना था
हाँ  वो सपना.................

Aur Teri Yaad Aati Hai....3 of 3

हर मंदिर और कथाओ मे ,हर संकट और बलाओं  में ,
जब कभी रक्षा धागे की बात आती है
और राखी के दिन भी अपनी सूनी कलाई  याद आती है,
तब बंद नाम आँखो मे भी एक तस्वीर दिखाई  देती है

          और तेरी याद आती है.

 "नम आँखे  भी नम ही  आँखो का ही सपना दिखती है
आरज़ू  तेरी डोली उठाने की,
एक ख्वाब तुझे दुल्हन देखने का ,
और इन नम आँखो की चाहत तेरी विदाई  की नम आँखे देखने  की

       जब ये कसक दिल के टुकड़े टुकड़े कर जाती है" ,
             और तेरी याद आती है.

ज़िंदगी यूँ कहने को तो बहुत बिज़ी है आज कल,
पर तेरा हर बात पे समझना और समझाना याद आता है,
तेरा हर बेवजह हसना और हर बे-वजह रोना याद आता है,

याद आती है तेरी सारी शैतानियाँ , कहानियाँ ,
और याद आता है वो लड़ना झगड़ना

और वो नुकीली नखोने के निशान याद आते है
और याद आते है वो रूठना मनाना
और मासूमियत से भारी तेरी सारी नादानियाँ  याद आती है

              और तेरी याद आती है.
               और तेरी याद आती है.

Aur Teri Yaad Aati Hai....2 of 3

जब राह मे कभी खाली माचिस  का Box नज़र आता है,
और बचपन मे वो Lem in खेलना ध्यान आता है,
और तेरे नन्हे से हाथो मे समेटी हुई ,
अपनी सारी जीती हुए बाजी याद आती है.

और तेरी याद आती है.

तेज धूप से बचने की कोशिश करती हुई  इन आँखो मे,
जब कभी अचानक Marbles की चमक पद जाती है,
तब रंग बिरंगे चमकीले Marbles से भारी Bottle को पकड़े हुए,
एक नन्ही सी लड़की की परछाई  ध्यान आती है.

और तेरी याद आती है.

थोड़े से हाल समाचार बताना सुनाना,
और उसी मे पूरे दिन भर की बात कह जाना,
हर एक छोटी मोटी Secret, Desire, Crime तुझसे Share हो जाना
और अचानक किसी दिन Chocolate खाने की ज़िद मे 
तेरा मुझे,ब्लॅकमेल करना याद आता है.
और तेरी याद आती है

इस बेरंग दुनिया मे जब कभी रंगो की बात होती है,
होली की हवा  मे लाल, पीले ,हारे रंग उड़ते दिखाए पड़ते है,
और उन उड़ते रंगो के बीच छोटी सी बच्ची का 
रंगो से रंगाधुँधला सा चेहरा नज़र आता है.
और तेरी याद आती है.............. (to be continued)

Aur Teri Yaad Aati Hai....1 of 3

 A Sea of Emotional Memoir being put into words by My Dearest Friend  Subhash Tamrakar  can't resist to share this. "Epic"....... Take a bow Subhash.....
                                             


                                         और तेरी याद आती है.

जब बादल काले होने लगते है ,
और बारीश चेहरे पे टपकती है ,
तब सिर छुपाने की इधर -उधर भागा दौड़ी मे,
तेरा स्कूल से घर तक का वो दौड़ना याद आता है.
              और तेरी याद आती है.

 इस पैसे कमाने की होड़  मे,
नोट गिनते गिनते जब कभी हाथ से
अचानक सिक्के टकरा जाते है, 
तब तेरा बचपन मे वो सिक्के इकट्ठे  कर के,
खनखनाना याद आता है.

            और तेरी याद आती है.

 Movie के बीच मे जब कभी जासूसी दिखाए देती है,
तब बचपन मे तेरी अपनी हर एक छोटी मोटी बात को,
एक Secret की तरह छुपाना और बताना याद आता है,

       और तेरी याद आती है

Office जल्दी जाने की कश्मकश में ,
और सामान निकालें की उलझन मे,
जब ड्रॉवर की साइड मे पड़ा
Tiffin Box नज़र आता है,
और घर से रुठ  के स्कूल Tiffin Box
नही  ले जाना ध्यान आता है
और वो  Half Time  पे
पेट में  चूहो का कूदना याद आता है,
तब ग्राउंड पे एक नन्ही सी लड़की 
2 डब्बे  लेके बैठी हुए दिख जाती है,
         और तेरी याद आती है...................(to be continued)

Last night was worth dreaming, And the next frozen morning was worth living, Thought to make that ‘jour’ something unusual, Stepped down from my maison with a feeling, can’t express coz it was outlandish, The journey for my bureau started and my cher cronies clouds gave an outcry, It just then began to rain and and my eyes filled with the tears of mixed feelings. Want to know why? A small kid on the road was dancing in that rain like he had that only day to live, I approached that kiddo and asked, “Why was he doing so?” He answered me, “I think I have only this moment to live for, then why not make it an odd like some spell” Then I aksed him, “What is your dream?” The sweet child answered charmingly, “To live fast and die young”… I was astonished and left from there. On crossing the first signal, after capturing that moment, I saw a mid-aged man who was instead running like hell from that same pluie, I went aside of road and covered him with my jacket, Walked with him trying to cope his pace, and asked him,”Why was running from this heavenly drops?” He answered me ,”I don’t want to add more tears to my life”. The man was about to live but I again asked him,”What is your dream?” He said, “What is a dream?”…and smiled with a pessimistic perception … I left from there in a shock… While I was about to complete my journey, I echoed both the incidents, and decided that, “Every moment there’s something new to do, but what if its different. Every moment there’s something different to do, but what if its of sui generis. Every moment there’s something unique to do, but what if its strange. Every moment there’s something strange to do, but what if its weird. Every moment there’s something weird to do, but what if its got a spell. Et..life is like a caboose of all these moments. ..then what if its my own vita…my own lebel…my own experience. Every moment is life and my life has just one thing to do, that is to live it to the fullest and its can be only once..” Then why not today?

Abhishek vs Vivekanand 2....Chehra

Abhishek Tripathi@चेहरा
चेहरा नज़र मे नही दिल मे बसा लीजिए जो हैं अभी कुछ दूर दूर उन्हे पास बुला लीजिए.....
ना वक़्त ना खुदा ना दुनिया जुदा  कर  सके आपको उस चेहरे को कुछ इस कदर अपना बना  लीजिए




Vivekanand Joshi@चेहरा

काबिल-ए-इंतिख़ाब  था वो चेहरा जिसे हमने  अपने दिल का सदर बना दिया
सितम ए ज़िंदगी क चलते वो दिखाई नही देता था
इसलिए उम्र  भर क लिए उसे हमने अपनी नज़र बना लिया

Mohabbat 1 (Abhishek vs Vivekanand)

Vivekanand Joshi@  "मोहब्बत"
                              "जाने क्यों छोड़ दी उसने मोहब्बत करना ये बात अभी तक अंजान है
                              शायद वो समझा ही नहीं की इश्क़ में अंजाम ही इब्तदा है और इब्तदा  ही अंजाम  है"


Abhishek Tripathi @ "मोहब्बत"
 
                            "मोहब्बत करना नहीं छोड़ा बस जताना छोड़ दिया चाहत तो है पर मनाना छोड़ दिया
                             वो थे हमारे और रहेंगे पर वक़्त के इस कारवाँ में उन्हें अपना बनाना छोड़ दिया"

                                                                   kkkkkkkkkkkkkkkkkkkk

Offering (One Line Fancy)



Living in Solitude,He recalls her again which leaves him "Unsleep" Consistently.A Cordial "offering" made him sleep.

हुनर का फैसला


        दौलत से होता है हुनर का फैसला अगर 
मजबूरी दाम लगवाती है, हाथों की "खनक” बेच देती है     
                                                         - विवेकानंद जोशी
(Don't mind to mouse hover to blue words) 

Sanguine eyes



Sanguine eyes watching the thoroughfare go by
Where the purveyor of sanguinity is?
He was never- before, late
The heart inquired several times to locate
Or is it the time to blame the fate ?
Once again we were betrayed
Hopes were slammed
But nothing to loose at all...! as they say
Just a wait for another day
And the shining would rain ........Again
Life dances on cadence ........Again
Matter of time...till then
Believe the radiance is in........
Yes it is With in
Yes it is within  

(Mouse hover over blue words to see their synonym) 



रसम






हाथ मिलाने की रसम न किया करो हमसे
यूँही किसी दिन दिल मिला बैठोगे
तुम्हारा तो कुछ नहीं बिगड़ेगा
उम्र भर की तड़प में हमे जला दोगे






 
Post Created by: Vivekanand Joshi

शीशे

शीशे की हस्ती यही है की वो पैमाना  हो जाए
हमारे होटों से जहाँ मेह लग जाए बस
वही मैख़ाना हो जाए
(hover on blue words for what they mean........)
 




  Created by: Vivekanand Joshi
P.S.- I do not advocate the habit of drinking...............

गुनाह


गुनाह इतना भी न कर -ए- दिल की तू किसी का मुजरिम हो जाए
यहाँ हर कोई मुंसिफ नहीं होता जो तेरे हक़ में फैसला सुनाये
(hover on blue words for their meanings........)







Posted by: Vivekanand Joshi