A Sea of Emotional Memoir being put into words by My Dearest Friend Subhash Tamrakar can't resist to share this. "Epic"....... Take a bow Subhash.....
और तेरी याद आती है.
जब बादल काले होने लगते है ,
और बारीश चेहरे पे टपकती है ,
तब सिर छुपाने की इधर -उधर भागा दौड़ी मे,
तेरा स्कूल से घर तक का वो दौड़ना याद आता है.
और तेरी याद आती है.
इस पैसे कमाने की होड़ मे,
नोट गिनते गिनते जब कभी हाथ से
अचानक सिक्के टकरा जाते है,
तब तेरा बचपन मे वो सिक्के इकट्ठे कर के,
खनखनाना याद आता है.
और तेरी याद आती है.
Movie के बीच मे जब कभी जासूसी दिखाए देती है,
तब बचपन मे तेरी अपनी हर एक छोटी मोटी बात को,
एक Secret की तरह छुपाना और बताना याद आता है,
और तेरी याद आती है
Office जल्दी जाने की कश्मकश में ,
और सामान निकालें की उलझन मे,
जब ड्रॉवर की साइड मे पड़ा
Tiffin Box नज़र आता है,
और घर से रुठ के स्कूल Tiffin Box
नही ले जाना ध्यान आता है
और वो Half Time पे
पेट में चूहो का कूदना याद आता है,
तब ग्राउंड पे एक नन्ही सी लड़की
2 डब्बे लेके बैठी हुए दिख जाती है,
और तेरी याद आती है...................(to be continued)