Aur Teri Yaad Aati Hai....3 of 3

हर मंदिर और कथाओ मे ,हर संकट और बलाओं  में ,
जब कभी रक्षा धागे की बात आती है
और राखी के दिन भी अपनी सूनी कलाई  याद आती है,
तब बंद नाम आँखो मे भी एक तस्वीर दिखाई  देती है

          और तेरी याद आती है.

 "नम आँखे  भी नम ही  आँखो का ही सपना दिखती है
आरज़ू  तेरी डोली उठाने की,
एक ख्वाब तुझे दुल्हन देखने का ,
और इन नम आँखो की चाहत तेरी विदाई  की नम आँखे देखने  की

       जब ये कसक दिल के टुकड़े टुकड़े कर जाती है" ,
             और तेरी याद आती है.

ज़िंदगी यूँ कहने को तो बहुत बिज़ी है आज कल,
पर तेरा हर बात पे समझना और समझाना याद आता है,
तेरा हर बेवजह हसना और हर बे-वजह रोना याद आता है,

याद आती है तेरी सारी शैतानियाँ , कहानियाँ ,
और याद आता है वो लड़ना झगड़ना

और वो नुकीली नखोने के निशान याद आते है
और याद आते है वो रूठना मनाना
और मासूमियत से भारी तेरी सारी नादानियाँ  याद आती है

              और तेरी याद आती है.
               और तेरी याद आती है.